झाबुआ कलेक्ट्रेट में स्टूडेंट के तेवर:अधिकारी ज्ञापन लेने नहीं आए; छात्रा बोली- आपसे नहीं हो पा रहा तो हमें कलेक्टर बना दो, सारी मांगें पूरी कर देंगे

 

झाबुआ कलेक्ट्रेट में स्टूडेंट के तेवर:अधिकारी ज्ञापन लेने नहीं आए; छात्रा बोली- आपसे नहीं हो पा रहा तो हमें कलेक्टर बना दो, सारी मांगें पूरी कर देंगे


'सर, हमें कलेक्टर बना दो। हम कलेक्टर बनने को तैयार हैं। आप मांगें पूरी नहीं कर पा रहे हैं। हम सबकी मांगें पूरी कर देंगे। हम भीख मांगने नहीं आए। सरकार किसके लिए बनी है। बसों में किराया खर्च कर यहां तक आते हैं। हम आदिवासियों के लिए कुछ तो करो...।' ये तीखे तेवर हैं झाबुआ पीजी कॉलेज में पढ़ने वाली फर्स्ट ईयर की निर्मला के।



अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर पीजी कॉलेज के छात्र- छात्राएं एनएसयूआई की अगुवाई में सोमवार को कलेक्टर सोमेश मिश्रा को ज्ञापन देने पहुंचे थे। कलेक्टर के ज्ञापन लेने नहीं आने पर स्टूडेंट्स का सब्र टूट गया। उन्होंने हंगामा कर दिया। छात्राओं ने भी नारेबाजी की। निर्मला ने कहा कि हम अपनी समस्याएं लेकर दूर-दूर से आए हैं। कलेक्टर सर के पास उनसे मिलने का समय नहीं है। इसका वीडियो अब सामने आया है। निर्मला ने  बात करते हुए कहा कि सच्चाई की‎ आवाज दूर तक जा रही है। मैं‎ जिंदा हूं, तब तक बोलती रहूंगी,‎ चुप नहीं बैठूंगी। राजनीति भी‎ करूंगी, चाहे मुझे कोई इनाम मिले‎ या न मिले। मेरे कमरे से कॉलेज‎ 3 किमी दूर है। रोज पैदल जाती‎ हूं। मुझे पैदल चलने में दिक्कत‎ नहीं है, लेकिन दूसरों के लिए‎ आवाज उठाई थी।

निर्मला बोली- व्यवस्था को लेकर पहले से गुस्सा थी


निर्माला आलीराजपुर जिले के खंडाला‎ खुशाल गांव की है। निर्मला आदिवासी किसान परिवार से ताल्लुक रखती है। वह 7 भाई-बहन हैं। उसका सपना आर्मी में जाने का है। निर्माला का कहना है कि पिता खेती करते हैं और‎ परिवार गरीब है। इतना कि मेरे‎ पास मोबाइल तक नहीं है। इसी‎ साल बीए फर्स्ट इयर में गर्ल्स‎ कॉलेज झाबुआ में प्रवेश लिया।‎ मुझे सच बोलना शुरू से पसंद‎ है। पूरी कोशिश करती हूं और‎ हमेशा सोचती हूं कि अपनी बात‎ को कैसे रखूं। दिमाग में हर समय‎ यही चलता है। मुझमें व्यवस्था‎ को लेकर पहले से गुस्सा है,‎ लेकिन पहले कम था, अब बढ़‎ रहा है।


कलेक्टर का रवैया‎ देखकर गुस्सा आ गया। न‎ ‎ आवास राशि मिल रही, न‎ छात्रवृत्ति और न दूसरी सुविधाएं।‎ कलेक्टर ने आकर हमसे बात‎ तक नहीं की। अभी एनएसयूआई‎ की गर्ल्स कॉलेज की महासचिव‎ हूं। मेरा वीडियो वायरल हुआ तो‎ अच्छा लग रहा है।


इन मांगों को लेकर दिया ज्ञापन

कोरोना काल में कक्षाएं नहीं लगीं।‎ अब पढ़ाई शुरू हुई और कोर्स पूरा नहीं‎ हुआ। ऐसे में परीक्षाओं को ओपन बुक‎ पद्धति से ही कराया जाए।‎

छात्र-छात्राओं को मिलने वाली‎ सरकारी योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति और‎ आवास राशि का भुगतान हो।

गरीब‎‎ बच्चों के लिए शहर में रहकर पढ़ाई‎ करना मुश्किल है। बस में भी छूट‎ मिलनी चाहिए।‎

जिले में गरीब आदिवासी रहते हैं।‎ ऐसे में यहां मेडिकल कॉलेज खोला‎ जाना जरूरी है।‎

स्कूल में शिक्षकों की कमी को पूरा‎ किया जाना चाहिए। अंग्रेजी, गणित‎ और विज्ञान के शिक्षक कई स्कूल में‎ नहीं हैं।‎

पीजी कॉलेज झाबुआ में न बैठक‎ व्यवस्था है, न भूगोल की लैब। इसे होना चाहिए।‎

साथ ही बताया कि गर्ल्स कॉलेज में भी समस्याओं का‎ अंबार है। यहां स्टाफ नहीं है। ये शहर‎ से दूर बनाया गया, जहां तक पहुंचने‎ में छात्राओं को परेशानी आती है।

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